Search This Blog deepaksdailydose.com , the medical minute, health, medicine, use , side effect,dose

Sunday, August 31, 2025

Generic और Branded दवा में अंतर – पूरी जानकारी हिंदी में

 

Generic और Branded Medicines – अंतर समझिए

GENERIC AND BRANDED MEDICINES


अक्सर आपने सुना होगा“Generic दवा सस्ती होती है, लेकिन Branded ज्यादा असरदार होती है।
क्या यह सच है?
हर मरीज और उसके परिवार के मन में यह सवाल आता है जब डॉक्टर दवा लिखते हैं और मेडिकल स्टोर पर दोनों विकल्प मिलते हैं।

आइए आसान भाषा और उदाहरणों से समझते हैं कि Generic और Branded दवा में वास्तविक फर्क क्या है।

1. Generic दवा क्या है?

GENERIC AND BRANDED MEDICINES


Generic दवा वही होती है जिसमें वही Active Ingredient होता है जो किसी Branded दवा में होता है।

👉 उदाहरण:

  • Branded: Crocin
  • Generic: Paracetamol 500 mg

दोनों का काम बुखार कम करना है, फर्क सिर्फ नाम और पैकेजिंग का है।

Generic दवा की खासियतें:

  • सरकार द्वारा निर्धारित गुणवत्ता मानकों के अनुसार बनती है।
  • कीमत कम होती है क्योंकि इसमें विज्ञापन और पैकेजिंग का खर्च नहीं जोड़ा जाता।

2. Branded दवा क्या है?

GENERIC AND BRANDED MEDICINES


Branded दवा भी वही Active Ingredient  होता है , लेकिन उसे एक कंपनी के नाम और पैकेजिंग के साथ बेचा जाता है।

👉 उदाहरण:
Paracetamol को अलग-अलग कंपनियां Crocin, Calpol, Metacin जैसे नामों से बेचती हैं।

Branded दवा की खासियतें:

3. गुणवत्ता और असरक्या दोनों समान हैं?

सबसे बड़ा सवाल यह होता है कि सस्ती दवा असरदार होगी या नहीं?

सच्चाई यह है कि:

  • Generic और Branded दोनों में एक ही Salt (सक्रिय तत्व) होता है।
  • दोनों को Drug Controller General of India (DCGI) से मंजूरी मिलनी जरूरी है।
  • दोनों की सुरक्षा और असर का परीक्षण होता है।

👉 फर्क सिर्फ पैकेजिंग और ब्रांडिंग का होता है, असर दोनों का समान रहता है।

4. कीमत में फर्कजेब पर असर

मान लीजिए:

  • Branded दवा = ₹50
  • Generic दवा = ₹10-15

अगर किसी मरीज को रोजाना BP, डायबिटीज़ या थायरॉइड जैसी बीमारी के लिए दवाइयाँ लेनी हों, तो Branded दवा से मासिक खर्च ₹1500 से ज्यादा हो सकता है।
वहीं, Generic दवा से वही इलाज सिर्फ ₹400-500 में हो सकता है।

इसीलिए सरकार ने जन औषधि केंद्र शुरू किए, जहाँ अच्छी गुणवत्ता की Generic दवाइयाँ बहुत कम दाम पर उपलब्ध हैं।

5. वास्तविक उदाहरणमानवीय दृष्टिकोण

श्री शर्मा (उम्र 60 वर्ष) डायबिटीज़ और BP के मरीज हैं। उन्हें रोज 2-3 दवाइयाँ लेनी पड़ती हैं।

  • Branded दवाइयों से उनका मासिक खर्च लगभग ₹2000 होता है।
  • Generic दवाइयों से वही खर्च सिर्फ ₹500 होता है।

इस अंतर की वजह से शर्मा जी बिना आर्थिक तनाव के नियमित दवा ले पाते हैं।
यही है Generic दवा का सबसे बड़ा लाभकिफ़ायत और उपलब्धता।

6. मिथक और सच्चाई

मिथक 1: Generic दवा कम असरदार होती है।
सच्चाई: Salt वही है, असर भी वही है।

मिथक 2: Generic दवाएँ केवल छोटी कंपनियाँ बनाती हैं।
सच्चाई: बड़ी फार्मा कंपनियाँ भी Generic बनाती हैं, बस ब्रांड नाम का इस्तेमाल नहीं करतीं।

मिथक 3: डॉक्टर ने Branded लिखी है तो वही सबसे अच्छी होगी।
सच्चाई: कई बार डॉक्टर पर मार्केटिंग का असर होता है, गुणवत्ता में अंतर नहीं होता।

7. मरीजों के लिए सुझाव

  • डॉक्टर से पूछें: क्या इसका Generic विकल्प उपलब्ध है?”
  • नज़दीकी जन औषधि केंद्र से दवाएँ खरीदें।
  • हमेशा विश्वसनीय मेडिकल स्टोर से ही दवाएँ लें।
  • लंबे समय तक चलने वाली बीमारियों (BP, डायबिटीज़, थायरॉइड) के मरीज एक ही Salt/Generic पर टिके रहेंबार-बार ब्रांड बदलने से बचें।

8. निष्कर्ष

Generic और Branded दोनों दवाइयाँ सुरक्षित और असरदार होती हैं।

👉 Branded महंगी होती है क्योंकि उसमें पैकेजिंग और ब्रांड नाम की कीमत जुड़ी होती है।
👉 Generic सस्ती होती है, जिससे ज़्यादा मरीज लगातार अपना इलाज जारी रख सकते हैं।

अंत में, सबसे महत्वपूर्ण है कि आप दवा नियमित और सही मात्रा में लें।
सही दवा वही है जो आपकी सेहत और आपकी जेबदोनों के लिए संतुलित हो।

THANK YOU 

No comments:

Post a Comment

तुलसी के स्वास्थ्य लाभ और दैनिक जीवन में उपयोग

  तुलसी – प्रकृति का अद्भुत तोहफ़ा तुलसी , जिसे अंग्रेज़ी में Holy Basil कहा जाता है , भारतीय आयुर्वेद में एक बहुत ही महत्व...

popular post in our blogs related to health